बहुसंकेतन का
अर्थ किसी भी क्रिया की क्षमता को आने गुना करने वाली विधि से होता है| कंप्यूटर
के सन्दर्भ में संकेतन का अर्थ सम्प्रेषण को अनेक कम्प्यूटरो या अनेक अन्य इकाइयों
से जोड़ने की एक प्रक्रिया से होता है, जिसमे की सम्प्रेषण एक ही चैनल का उपयोग करने
में सहभागी हो सके| बहुसंकेतन(multiplexing) बहुसंकेतक(multiplexer) के द्वारा उत्पन्न
किया जाता है| बहुसंकेतन की तीन प्रमुख विधिया है|
१.
आवृति विभाजन
बहुसंकेतन (FDM- Frequency Division
Multiplexing): आवृति विभाजन बहुसंकेतन में एक
विस्तृत बैंड माध्यम में अनेक चैनलों को स्थापित करने हेतु अलग अलग आवृतियो का
प्रयोग किया जाता है| आवृति विभाजन बहुसंकेतन तार पर विभिन्न दिशाओ में भेजी जाने
वाली सुचना के समूह को अलग अलग करने हेतु ब्राड बेंड (Broad bend) का लेन (LAN) में प्रयोग किया
जाता है तथा कम्प्यूटरो में समर्पित कनेक्शन जैसी विशिष्ट सेवा प्रदान करने हेतु
उपयोग में लाया जाता है|
२.
समय विभाजन बहुसंकेतन
(TDM- Time Division Multiplexing): समय विभाजन बहुसंकेतन किसी अकेले चैनल को संक्षिप्त समय वाले खाचो (Slots) में बाट देती है,
जिसमे बिट, बीटो के ब्लाक, बाइट्स या प्रत्येक समय अंतराल में फ्रेमो को स्थापित
किया जा सकता है जो सीमा से बाहर नहीं जा सकते है| समय विभाजन बहुसंकेतन तकनीक
बेसबैंड प्रणालियों पर उपयोग में लायी जाती है|
३.
सांख्यिकीय समय विभाजन
बहुसंकेतक (STDM- Statistical Time
Division Multiplexing): यदि समय के खाँचो में
से कुछ खाँचे अनुपयोगी रह जाते है तो एक ही समय में घटित होने वाली परंपरागत समय
विभाजन बहुसंकेतन प्रणालिया बैंडविड्थ को बेकार कर देती है| सांख्यिकीय समय विभाजन
बहुसंकेतन “पहले आओ पहले पाओ” सिद्धांत के आधार पर सक्रिय युक्तियों को समय के खाँचो में लागु कर इन
समस्याओ को दूर कर देता है|
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