गुरुवार, 24 नवंबर 2011

अनुक्रमणिकरण (Indexing)


अनुक्रमणिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा ज्ञान को व्यवस्थित करने हेतु अनुक्रमणिका (Index) एवं सम्बंधित उपकरणों को तैयार किया जाता है| अनुक्रमणिकरण का कार्य मानव तथा कंप्यूटर दोनों की सहायता से किया जा सकता है विषय अनुक्रमणिकरण में विषय के साथ परिचित होना, विश्लेषण और अनुक्रमणिकरण भाषा के उपयोग से अवधारणाओ को प्रस्तुत करने के लिए पदों को प्रदान करने की तीनों अवस्थाएं सम्मिलित है| अनुक्रमणिकरण दो प्रकार से किया जा सकता है|

  1. पूर्व-समन्वित अनुक्रमणिकरण (Pre-coordinated indexing): जव अनुक्रमणिका तैयार करते समय ही अनुक्रमणिकार को पदों में समन्वय स्थापित करना पड़ता है तो यह पद्यति पूर्व-समन्वित अनुक्रमणिकरण कहा जाता है| उदाहरण के लिए: चेन इंडेक्सिंग (Chain Indexing), पोपसी (POPSI), प्रेसिस (PRECIS), क्लासिफाईड इंडेक्सिंग(Classified Indexing) आदि|
  2. पश्च समन्वित अनुक्रमानिकरण (Post-coordinated indexing): इस पद्यति में विषय शीर्षकों के पदों का क्रम पूर्व निर्धारित नहीं होता है, बल्कि प्रत्येक पद के लिए पृथक प्रविष्टि तैयार की जाती है| इससे उपयोक्ता को उनका क्रम यद् रखने की आवयश्कता नहीं रहती है| उदाहरण के लिए- क्विक (KWIC), क्वोक(KWOC) आदि|


दोनों प्रणालियों में मुख्य अंतर

  1. पूर्व समन्वित प्रणाली में अनुक्रमणिका तैयार करते समय ही पदों में समन्वय स्थापित किया जाता है जबकि पश्च-समन्वित प्रणाली में पदों का क्रम पूर्व-निर्धारित नहीं होता, बल्कि खोज के समय निर्धारित किया जाता है|
  2. पूर्व समन्वित प्रणाली में प्रलेखो को खोजने हेतु अभिगम पद अनुक्रमणिकार द्वारा तैयार किया जाता है, जबकि पश्च-समन्वित प्रणाली में अभिगम पद उपयोक्ता स्वयं निर्धारित कर्ता है|
  3. पूर्व समन्वित प्रणाली में लचीलापन बहुत कम होता है, जबकि पश्च-समन्वित प्रणाली में लचीलापन बहुत अधिक होता है|
  4. पूर्व समन्वित प्रणाली में क्रमचय (Permutation) एवं संयोजन(Combination) वर्जित होता है, जबकि पश्च-समन्वित प्रणाली में यह वर्जित नहीं है|

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