शनिवार, 5 नवंबर 2011

पुस्तकालय एवं सूचना प्रणाली पर राष्ट्रीय नीति


पुस्तकालय एवं सूचना नीति का अर्थ देश में सूचना आवश्यकताओ को पूरा एवं सन्तुष करने हेतु पुस्तकालय एवं सुचना व्यवस्था से सम्बंधित कानूनों एवं नियमों को लागु करना एवं सूचना का प्रकीर्णन करने हेतु सूचना सेवाओ के प्रोत्साहन एवं विकास के लिए कार्य करना होता है| इस प्रकार सूचना नीति वह व्यवस्था है, जिसके द्वारा देश में ग्रंथालय एवं सूचन सेवाओ का उत्तम ढंग से निर्देशन, संचालन एवं विकास किया जा सकता है|

भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सांस्कृतिक विभाग ने सन १९८५ में पुस्तकालय एवं सुचना प्रणाली पर राष्ट्रीय नीति(NAPLIS- National Policy on Library and Information System) की एक रुपरेखा तैयार कर प्रस्तुत करने के लिए एक समिति गठित की| इस समिति के अध्यक्ष प्रो. डी. पी. चटोपाध्याय थे| समिति ने इस कार्य को पूर्ण कर अपनी रिपोर्ट को ड्राफ्ट के रूप में ३१ मई १९८६ को सरकार को प्रस्तुत किया| जिसमें निम्नलिखित संस्तुतिया की गयी थी|
१.       राष्ट्रीय क्रियाकलापो के सभी क्षेत्रो में सूचना के व्यस्थापन, सुलभता एवं सुप्योग को सभी उपयूक्त साधनों द्वारा प्रोत्साहित करना, उन्नत बनना और प्रक्षय प्रदान करना|
२.      वर्तमान पुस्तकालय एवं सुचना प्रणालियों एवं सेवाओ को सक्त्रिया एवं उच्च-स्तरीय बनाने की दिशा में उपयुक्त कदम उठाना एवं सूचना प्रोद्योगिकी की नवीनतम उपलब्धियों एवं विकासों का लाभ उठाते हुए राष्ट्रीय सुचा आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए उपयुक्त एवं नविन कार्यक्रमों का आयोजन करना|
३.      पुस्तकालय एवं सूचना कर्मियों के लिए उच्चस्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था करना, साथ ही देश में उच्चस्तरीय विकास और गुणवत्ता की प्राप्ति के लिए उनकी इन सेवाओ का महत्वपूर्ण घटक के रूप में मान्यता प्रदान करना|
४.     पुस्तकालय एवं सूचन सुविधाओ एवं सेवाओ के तीव्रगामी विकास हेतु पर्याप्त निरीक्षणात्मक पद्यति विकसित करना, जिससे सभी क्षेत्रो एवं स्तरों की सूचना आवश्यकताओ की पूर्ति की जा सके तथा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सके|
५.     ज्ञान के संग्रह एवं प्रसार में एक बौद्धिक स्वतंत्रता को वातावरण में नवीन ज्ञान के अन्वेषण के लिए व्यक्तिगत प्रयासों और प्रक्रियाओ को प्रोत्साहन प्रदान करना|
६.      ज्ञान के संग्रह तथा अर्जन एवं अनुप्रयोग से उत्पन्न होने वाले सभी प्रकार के लाभों को लोगो को लिए सामान रूप से सुलभ करना, तथा
७.      राष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर तथा उसके बहुआयात्मक स्वरुप का परिरक्षण करना और उससे लोगो को अवगत करना|

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