बुधवार, 2 नवंबर 2011

डिजिटल ऑब्जेक्ट आइडेंटिफायर- डी ओ आईज


१९९० के दशक के अंत में प्रकाशन-संसार ने सुचना एवं प्रकाशन-संसार में एक नईं प्रणाली का सूत्रपात किया जिसे डिजिटल ऑब्जेक्ट आइडेंटिफायर (डी ओ आईज) कहते है ये डी ओ आई वर्ण- आंकिक मालाएं है जो वस्तुओ की एलेक्ट्रानिक वातावरण में पहचान करती है| डी ओ आई अंको का प्रबंधन अंतर्राष्ट्रीय डीओआई संगठन द्वारा किया जाता है|

ऑनलाइन विषयवस्तु, जिसे ऑनलाइन डिरेक्टरी के लिए पंजीकृत किया जाता है, के लिए डी ओ आई विश्व्यापी अनूठा और स्थायी शिनाख्ती चिन्ह है| ये किसी भी प्रकार की डिजिटल फाइल यथा टेक्स्ट (मूल पाठ), इमेज, द्रश्य, श्रव्य अथवा यहाँ तक कि सॉफ्टवेयर पर लागु होता है| उदाहरणार्थ, यह एक सम्पूर्ण पुस्तक, पुस्तक के एक अध्ध्याय, चित्र, एक एक वाकया अथवा शायद पुस्तक कि विषय-सूची कि पहचान करवा सकता है| यह एक ढंग है जो सृजनात्मक प्रयास कि पहचान करवाता है और एन विषयों कि विषयवस्तु को अनूठे ढंग से चिन्हित करता है| इसका लक्ष्य यह है कि वेब पर सूचना इकाईयों को व्यक्तिकता दे दी जाये|


डी ओ आई को विविध स्थानों पर, जैसे कि निर्देशिकरण पद्धति कि प्रविष्टि में, डाटाबेसो में, तत्वों को वर्णित करने वाले वेब पेजों पर. वस्तुनिहित सुचना संरचना में और स्वयं वस्तु में रखा जा सकता है|

इन पहचान-चिन्हों का कोई स्थायी अर्थ नहीं होता जैसा कि वर्गीकरण कोड में होता है| वे तो विषयवस्तु के पहचान-चिन्ह होते है और उसका प्रतिरूप भी नहीं होता| इन पहचानकर्ताओं को डिरेक्टरी में स्टोर किया जाता है जो कोपीराईट के मालिक का मौजूदा इन्टरनेट पते को भी दिखलाता है और अब इस जानकारी का ठिकाना वहाँ है| लेखक, प्रकाशक अथवा मौजूदा मालिक का उत्तरदायित्व है कि उत्तर-पृष्ठ को बनाये रखे जिसमे सुचना मद सम्बन्धी आंकड़े उपलब्ध करवाता है और इसके प्रयोग सम्बन्धी शर्तों को दर्शाता है|

इन पहचानकर्ताओं की डिरेक्टरी पूछताछ को इन्टरनेट के पूर्ण किये स्थानों पर पहूँचा देती है जहाँ विषय की वस्तु को जाना जा सकता है| जब पते बदल जाते है, तो यह डिरेक्टरी ऐसी पूछताछ को वहाँ भेज देगी जहाँ विषय मौजूदा तौर पर विद्यमान है|या वहाँ भेज दी जाती है जहाँ यह चिन्हित होता है की उक्त सूचना कहाँ से प्राप्य है| कुछ समय के बाद, जब वस्तु इधर-उधर जाती है अथवा उनकी मालिकियत में बदलाब आता है, डिरेक्टरी इन सभी बातों के प्रति सतर्क रहती है|

यद्यपि इन पहचानकर्ताओं का मुख्य प्रयोजन बौद्धिक संपदा, इंडेक्सिंग और सुचना मुहैया करने का प्रबंधन है, इसके साथ साथ डाक्यूमेंट डिलीवरी सेवाओ के लिए भी यह लाभदायक साधन बनेगा|

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