शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

जानिये क्या है एपीआई (एकेडेमिक परफोर्मेंस इंडीकेटर) का गणित


अब किसी भी विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर या प्रोफेसर बनना टेढ़ी खीर हो गया है। प्रोफेसरी की फीती लगाने के लिये अब आपको आलराउंडर तो होना ही पड़ेगा बल्कि कई तरह के पापड़ भी बेलने पड़ेंगे। क्लास रुम में ही नहीं बाहर भी पूरा काम करना होगा। काम भी मार्के का करना होगा यानि पेपर छपवाना होगा तो किसी स्तरीय जर्नल या किसी बड़े हाउस द्वारा निकाले जाने वाली पत्रिका से ही छपा हो। कम से कम तीन-चार किताबें लिखनी होंगी और लगातार अन्य कोर्सो व कार्यक्रमों में सक्रिय रहना पड़ेगा। यूजीसी की नई गाइडलाइन्स के मुताबिक अब किसी भी संस्थान में सीधे रीडर/एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर बनने के लिये एकेडेमिक परफोर्मेंस इंडीकेटर (एपीआई) के तहत न्यूनतम क्रमश: 300 और 400 प्वाइंट अर्जित करने होंगे।

किसी भी असिस्टेंट प्रोफेसर/लायब्रेरियन के लिये अब केवल पढऩा-पढ़ाना ही काफी नहीं होगा उसे तरक्की पाने के लिये शोध-पत्र लिखने होंगे, पुस्तकें लिखनी होंगी और वे भी स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में छपवानी होगी। कम से कम 300 या 400 अंक पाने के लिये अब शिक्षकों को किसी न किसी जर्नल के सम्पादकीय बोर्ड में होने के भी अंक मिलेंगे। यदि आप किसी अंतरराष्ट्रीय जर्नल, जिसे आईएसबीए/आईएसएसएन नंबर मिला हो, के बोर्ड में हैं, तो आपको 15 अंक मिलेंगे अगर जर्नल बिना आईएसबीएन के हैं, तो उसके 10 ही अंक मिलेंगे और आईएसबीएन नंबर के साथ बिना रेफर्ड जर्नल के सम्पादकीय मंडल में हैं तो इसके महज पांच ही अंक मिलेंगे।

आप किस पत्र-पत्रिका में रिव्यूर/रेफरी हैं यदि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर की रेफर्ड जर्नल है तो इसके पूरे 10 अंक मिलेंगे अगर पत्रिका रेफर्ड तो हैं मगर आईएसबीएन नंबर वाली नही है ते इसके कुल पांच ही अंक मिलेंगे और अगर जर्नल रेफर्ड नहीं है मगर उसे आईएसबीएन नंबर मिला हुआ है तो इसकी एवज में तीन अंक मिलेंगे।

इसी तरह अगर आईएसबीएन नंबर वाली किसी रेफर्ड जर्नल में आपका शोध-पत्र छपा है तो उसके 20 अंक मिलेंगे और बिना आईएसबीएन नंबर वाले जर्नल में पेपर छपने पर 15 नंबर मिलेंगे। यदि शोध-पत्र आईएसबीएन वाली किसी नान-रेफर्ड जर्नल में छपा है तो उसके 10 अंक और अगर किसी कान्फ्रेंस प्रोसीडिंग में कोई पेपर फुल पेपर के तौर पर पढ़ा गया है तो उसके भी 10 अंक दिये जायेंगे। नये नियमों के तहत सबसे ज्यादा अंक किसी भी पुस्तक के छपने पर दिये जाने का प्रावधान रखा गया है। अगर आपने कोई रेफरेंस या टेक्स्ट बुक लिखी है तो आपको इसके पूरे 50 अंक दिये जायेंगे मगर शर्त यह है कि यह किसी अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन से छपी हो। इसी प्रकार अगर किसी राष्ट्रीय स्तर के प्रकाशक ने आईएसबीएन नंबर के साथ विषय की किताबें छापी हो तो उसके लेखक को इसके 25 अंक मिलेंगे। अगर ऐसी पुस्तक किसी लोकल प्रकाशक से छपवाई गयी है तो उसके मात्र 15 अंक ही मिलेंगे, हां यह आईएसबीएन नंबर के साथ छपी हो। इसमें भी पेंच है कि किताब के एक से ज्यादा लेखक होंगे तो उनमें ये अंक बराबर बांटे जायेंगे।

आपके सम्पादन में कितनी किताबें छपी हैं, आपने कितनी पुस्तकों में कितने लेख या अध्याय लिखे हैं इसके भी नंबर दिये जायेंगे। नये नियमों के तहत किसी भी टेक्स्ट बुक या रेफरेंस बुक के सम्पादन के लिये अगर वह अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रकाशक से आईएसबीएन नंबर सहित छपवाई गयी हैं, तो उसके 15 और यदि राष्ट्रीय स्तर के प्रकाशन से छपी है तो 10 और किसी लोकल प्रकाशक ने आईएसबीएन नंबर के साथ छापी है तो उसके पांच अंक मिलेंगे।

इसी तरह रिसर्च प्रोजेक्ट साइंस के लिये 30 लाख और सोशल साइंस,कला एवं मानविकी के लिये पांच लाख के प्रोजेक्ट के लिये 20 नंबर और इससे कम पांच व तीन लाख के प्रोजेक्ट होने पर के 15 और इससे कम का होने पर 10 अंक मिलेंगे। कन्सल्टी प्रोजेक्ट के 10 अंक और प्रोजेक्ट पूरा होने पर 20 अंंक प्रोजेक्ट की कोई आउटकम आने पर 30 अंक मिलेंगे।

पढ़ाई के साथ आपने शोध के क्षेत्र में कितने छात्रों का मार्गदर्शन किया है इसके भी अंक मिलेंगे। पीएचडी डिग्री अवार्ड होने पर 10 अंक, थीसिस जमा होने तक सात अंक जबकि एमफिल/एमए के लघु शोध प्रबंध के लिये तीन-तीन अंक मिलेंगे। इसी तरह ट्रेङ्क्षगग कोर्स, कान्फ्रेंस/सेमिनार/वर्कशाप के लिये भी नंबर दिये जाने का प्रावधान रखा गया है। यदि आप किसी सेमिनार/ रिफ्रेशर कोर्स/ रिसर्च मैथ्डोलाजी/ वर्कशाप/ प्रशिक्षण/ टीचिंग-लर्निंग इवेल्यूएशन टेक्नोलाजी, साफ्ट स्किल डेवलपमेंट/ फैकल्टी प्रोग्राम के आर्गेनाइजर/ अध्यक्ष/ चेयरमैन/ कनवीनर/ कोआर्डीनेटर/ डायरेक्टर/ सचिव हैं, जिसकी अवधि दो हफ्ते से कम न हो तो आपको 30 अंक मिलेंगे और अगर एक हफ्ते की अवधि के हैं तो 15 अंक मिलेंगे यदि इससे कम अवधि का कार्यक्रम है, तो इसके 10 ही अंक मिलेंगे। हां,इसमें भी एक शर्त है -अगर एक से ज्यादा आयोजक हैं तो अंक बंट जायेंगे और कोई भी इस मद में अधिकतम 90 अंक ही एकत्र कर सकता है। उपरोक्त कार्यक्रमों में से किसी में भी अगर कोई भागीदारी करता है तो उसे अवधि के हिसाब से 20 और 10 एवं पांच अंक मिलेंगे। अगर आप इंटरनेशनल स्तर के इन्ही में से किसी आयोजन में आमंत्रित वक्ता हैं, तो 15 और राष्ट्रीय स्तर के आयोजन में हैं तो 10 रीजनल या राज्य स्तरीय में हैं तो साढ़े सात अंक ही मिलेंगे।

इसके अतिरिक्त यदि आप अंरराष्ट्रीय स्तर के किसी सेमिनार में रिसोर्स पर्सन या आमंत्रित वक्ता हैं, तो 15 अंक दिये जायेंगे। इसी के साथ अगर आप किसी प्रोफेशनल बाडी के एडवाइजर हैं, अथवा उसके पदाधिकारी हैं, तो इसके अंतर्राष्ट्रीय स्तर का होने पर 15 अंक राष्ट्रीय होने पर 10 और क्षेत्रीय या राज्य स्तरीय होने पर मात्र साढ़े सात अंक मिलेंगे

(डा. जोगिंद्र सिंह,दैनिक ट्रिब्यून,चंडीगढ़,22.9.2010)।

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